"कोई घुटनों से परेशान कोई हृदय से,
कौन जो बचाये भारत के स्वाभिमान को ।
देश को तो बूढ़े हाथों में ही सौंपते रहे हैं,
अग्रणी किया नहीं नवीन पहिचान को ।।
साहस नहीं है और ना ही पूर्ण सक्षम हैं,
बेबस किया है विश्वगुरु हिन्दुस्तान को ।
स्वाभिमानी, निर्भीक हो जो जोश वाला अब,
देश सौंपियेगा किसी ऐसे नौजवान को ।।"
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Hamesha aage badhte raho..
ReplyDeleteYehe meri manokamna hai ishwar se..