"सैनिकों के शौर्य पे न कोई प्रश्नचिन्ह, यदि
ठानें शत्रु को ये जड़ से उखाड़ देते हैं !
दो-दो हाथ कोई करना ही यदि चाहता तो,
एक वार में ही भूमि पे पछाड़ देते हैं !!
कोई माँ या मात्रभूमि पे कुदृष्टि* डालता तो,
ऐसे आइनों के चेहरे बिगाड़ देते हैं !
वंशज भरत के हैं सामने हो सिंह के भी,
खेल-खेल में ही जबड़े को फाड़ देते हैं !!"
* बुरी नज़र
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