''जनप्रतिनिधि कितने चुने अँगूठा छाप,
सोचते थे ये भी कुछ पढ़े-लिखे काश हों ।
यानी हम लोग चुनकर भेजते हैं जिन्हें,
आम आदमी से हटकर कुछ खास हों ॥
सरकारी सुविधाओं के मिले प्रपत्र देख,
शिक्षित नहीं, ये सोचकर न उदास हों ।
लड़ना जिन्हें हो गाँव के प्रधान का चुनाव,
उनके लिए ज़रूरी दसवीं तो पास हों ॥''
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